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संस्कृत को राष्ट्रभाषा बनाने के पक्षधर थे डाॅ अम्बेडकर- कुलपति, पाणिनि संस्कृत विश्वविद्यालय ने किया संविधान निर्माता को नमन

उज्जैन। संविधान निर्माता डाॅ भीमराव अम्बेडकर की जयन्ती के अवसर पर महर्षि पाणिनि संस्कृत एवं वैदिक विश्वविद्यालय परिवार ने श्रद्धा प्रसून समर्पित करके उन्हें नमन किया। सर्वप्रथम विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. विजयकुमार सी.जी. तथा कुलसचिव डाॅ. दिलीप सोनी ने डाॅ. अम्बेडकर के चित्र पर माल्यार्पण किया। तत्पश्चात् समस्त विश्वविद्यालय परिवार ने श्रद्धांजलि अर्पित की। इस अवसर पर कुलपति महोदय ने राष्ट्रनिर्माता का पुण्य स्मरण करते हुए कहा कि अम्बेडकर जी के व्यक्तित्व से कोई भी अपरिचित नहीं है। समाज में जारी कुरीतियों को दूर कर सबको समान सम्मान दिलवाने में अम्बेडकर जी की भूमिका प्रणम्य है। इसके साथ ही वे संस्कृत के प्रबल समर्थक रहे हैं। बाबा साहब भीमराव अंबेडकर संस्कृत भाषा को राष्ट्रभाषा बनाने के पक्षधर थे। उनका मानना था कि एक मात्र संस्कृत ही है जो सम्पूर्ण भारत को जोड़ सकती है। यह समस्त भारतीय भाषाओं की जननी है, इसलिए यह निर्विवाद रूप से भारतीय संघ की राजभाषा बनाई जा सकती है। संस्कृतप्रेमियों के लिए इससे अधिक प्रसन्नता की कोई और बात नहीं हो सकती। डाॅ अम्बेडकर ने जो स्वप्न देखा, उसे साकार करना हम सभी का दायित्व है। हम सब को उनके बताये मार्ग पर चलना चाहिए। कार्यक्रम का संचालन डाॅ तुलसीदास परौहा ने किया। इस अवसर पर निदेशक डाॅ मनमोहन उपाध्याय, विभागाध्यक्ष डाॅ अखिलेशकुमार द्विवेदी, डाॅ संकल्प मिश्र, डाॅ शुभम् शर्मा समेत विश्वविद्यालय के प्राध्यापक, कर्मचारी एवं छात्र उपस्थित रहे।

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