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बुजुर्ग ने लगाई सीएम हेल्पलाईन तो पुलिस को सूंघ गया सांप मामला सीएम हेल्पलाईन से जुड़ी जमीनी जागरूकता का

पंकज पांचाल मो.9424515148
 इंदौर/खुडैल
 सीएम हेल्पलाईन की लोकप्रियता मध्य प्रदेश में इस कदर फैल गई है कि समाज के कमजोर तबके तक इसका ज्ञान पहुंच गया है। मजदूर वर्ग के लिए तो सीएम हेल्पलाईन वरदान बन गई है। सीएम हेल्पलाईन से न्याय मांगने का एक अद्भुत मामला सामने आया है पेश है एक रिपोर्ट।
क्या है मामला
 मामला अप्रैल माह का इंदौर जिले के खुडेल थाने का है । इंदौर निवासी 60 वर्षीय अशोक तुकाराम  जो की कई वर्षों से इंदौर में ट्रांसपोर्टर का काम करते हैं। अशोक का स्वयं का थ्री व्हीलर लोडिंग आटो है जो यूवी ट्रांसफार्मर कंपनी में अनुबंधित है। अशोक इसी थ्री व्हीलर से ग्वालियर, जबलपुर, मंदसौर, बैतुल, पूना, चालीसगांव आदि शहरों में कंपनी के ट्रांसफार्मर ले जाते है तथा गारंटी पीरियड में खराब हुए ट्रांसफार्मर अपने लोडिंग वाहन में रखकर कंपनी तक लाते हैं। इसी क्रम में अशोक 13 अप्रैल को सुहागपुर से जलाहुआ ट्रांसफार्मर अपने लोडिंग वाहन में रखकर रात 11:20 बजे लसूडलिया चेक पोस्ट खुडैल के सामने से गुजरा। इस चेक पोस्ट पर बैठे दो आरक्षकों ने लगभग एक किलोमीटर दूर ट्रेंचिंग ग्राउंड के पास अशोक का वाहन रोक लिया और जले हुए ट्रांसफार्मर के बिल की मांग की। अशोक ने कहा कि पुराने ट्रांसफार्मर का बिल नहीं होता है। आरक्षकों ने कहा कि हमें संदेह है यह चोरी का ट्रांसफार्मर है। अशोक ने सुहागपुर के विद्युत ठेकेदार से मोबाईल पर बात करा दी लेकिन आरक्षक नहीं माने। फिर अशोक ने युवी ट्रांसफार्मर कंपनी के मालिक से बात कराई तब भी आरक्षक नहीं माने और अशोक को थाने चलने के लिए कहा और अशोक को थाने ले जाकर लाकअप में बंद कर दिया। पिता के थाने में होने की जानकारी लगी तो
सुबह लगभग 9 बजे अशोक की दोनों पुत्री और दोनों दामाद खुड़ैल थाने पर पहुंच गए तब तक अशोक लाकअप में ही बंद था। पुत्रियों ने आपत्ती ली तथा कुछ ही देर में थाना प्रभारी महेंद्रसिंह भदौरिया भी थाने पर पहुंच गए महेंद्रसिंह भदौरिया देवास के औद्योगिक थाने पर पदस्थ रहे हैं तथा अशोक के बड़े भाई दिलीप तुकाराम देवास में प्रसिद्ध जनप्रतिनिधि है इसलिए व्यक्तिगत रूप से परिचित भी है लिहाजा अशोक को लाकअप में बंद करने पर अपने स्टाफ पर नाराजगी व्यक्त भी की तथा अशोक को लाकअप से निकाल कर रवाना कर दिया।
ऐसे हुई सीएम हेल्पलाईन 
थाने से छूटने के बाद अशोक ने सीधे एसपी आफिस का रुख किया लेकिन मुलाकात नहीं हो पाई। तीन दिन तक लगातार एसपी से मुलाकात की नाकाम कोशिश के बाद अशोक ने सीएम हेल्पलाईन लगा कर पुलिस की अवैध हिरासत की शिकायत करते हुए आरक्षकों पर कार्यवाही की मांग  कर दी। खुडैल थाने में पदस्थ उप निरीक्षक कृष्णा पदमकर ने 16 अप्रैल को अशोक को थाने पर बयान लेने के लिए बुलाया। पदमकर ने बयान लिखे और अशोक से कहा हस्ताक्षर कर दो। अशोक ने बयान पढ़े और आपत्ती ली कि थाने में बंद के स्थान पर लाकअप में बंद शब्द लिखा जाए तथा यह भी लिखा जाए कि मैं दोनों आरक्षकों के खिलाफ कार्यवाही चाहता हूं। जांच अधिकारी पदमकर ने यह लिखने से मना कर दिया तो अशोक उठकर थाने से बाहर आ गए। मामला बिगड़ता देख पदमकर ने आवाज लगाकर कहा कि टीआई साहब बुला रहे हैं।  थाना प्रभारी ने अशोक से कहा कि कार्यवाही चाहते थे तो उसी दिन मुझसे कहा होता। ठीक है अब नए सिरे से आवेदन लिख दो। कुल जमा पदमकर का यह फोकस था कि मामला कैसे भी रफा दफा हो जाए। 
वरिष्ठ नागरिक है अशोक
लोडिंग रिक्शा चलाने वाले अशोक तुकाराम की उम्र 60 वर्ष है तथा भारतीय कानून के मुताबिक वरिष्ठ नागरिक है। अशोक को सीएम हेल्पलाईन पर बहुत विश्वास है। अशोक का कहना है कि बगैर अपराध के मुझे लाकअप में बंद किया गया इस घटना से मैं बहुत आहत हूं। 
क्या है दंड का प्रावधान 
भारतीय दंड विधान की धारा 342 सदोष परिरोध के लिए दंड का प्रावधान करती है। यदि किसी व्यक्ति को पुलिस ने अवैध हिरासत में लिया तो एफआईआर कर एक वर्ष की सजा और एक हजार रुपए का जुर्माना या दोनों सजा हो सकती है। इतना ही नही यदि किसी निरपराध पर झूठी एफआईआर की जाती है तो पुलिस रेग्यूलेशन एक्ट के पैरा 634 में पुलिस को बर्खास्त भी किया जा सकता है। 
पुलिसिया मूर्खता के लाखों मामले हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में लंबित 
हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट अपनी रिपोर्ट में प्रतिवर्ष मामले लंबित होने की बात कहता है। इनमें से 70 फीसदी मामले पुलिसिया मूर्खता के ही हैं। आजादी के 70 वर्ष बाद भी यदि पुलिस अंग्रेजो जैसा बर्ताव करती रही तो मामलों में लगातार बढौत्री होती रहेगी। भारत की आजादी के बाद पुलिस का सिस्टम इस अवधारणा के साथ तैयार किया गया था कि आरक्षक यदि कोई गलती करे तो उप निरीक्षक उस पर रोक लगाए। टीआई यदि गलत एफआईआर करे तो एसडीओपी उसे ऐसा करने से रोके दंडित करे।यही क्रम आईजी स्तर तक तैयार किया गया था। होता इसके उल्टा ही है। अनुसंधान कर्ता अधिकारी अनुमान के आधार पर किसी को भी आरोपी बना देते हैं ऊपर के अधिकारी शाबासी देते हैं। वर्षों मुकदमे चलने के बाद पता  लगता है कि यह मुकदमा ही गलत बनाया गया है। इधर यदि किसी पुलिस की शिकायत होती है तो पूरा स्टाफ उसे बचाने में लग जाता है।
खुडैल थाने पर अवैध हिरासत आम बात
खुडैल थाना इंदौर ग्रामीण अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक के कार्यक्षैत्र में लगता है। इस थाने के मैन गेट पर केवल एक ही सीसीटीवी कैमरा लगा है। सूत्र बताते हैं पुलिस इसी बात का फायदा उठाकर अवैध हिरासत का उपयोग कर लेती है। आटो चालक बुजुर्ग की अवैध हिरासत का मामला भी इनमें से एक है। आटो चालक का  मामला तो थाना प्रभारी की नजरों में आ गया बहुत मामले ऐसे हैं जिनकी जानकारी थाना प्रभारी को भी नहीं होती है। पुलिस पशोपेश में है कि इस मामले को कैसे निपटाए। पुलिस इस कोशिश में है कि वरिष्ठ अधिकारियों के संज्ञान में आने के पहले शिकायत वापस हो जाए।

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