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कचरे को हो रहा पुन: चक्रण, बनाई जा रही उपयोगी सामग्री

उज्जैन। उज्जैन एक ऐसा शहर है जहाँ पर शहर से निकलने वाले कचरे को कचरा नहीं वरन संसाधन माना जाता है जिसके फलस्वरूप कचरे के निष्पादन में होने वाले व्यय को कम करते हुवे पुन: चक्रण एवं पुन: उपयोग करने का कार्य विभिन्न प्रकार से किया जा रहा है।  विकेंद्रीकृत प्लांट्स के माध्यम से निगम द्वारा शहर से निकलने वाले कचरे को शहर में ही प्रोसेस करके कचरे को पुन: चक्रण करके उपयोग योग्य बनाया जा रहा है।

थ्री आर पार्क का निर्माण- स्वच्छ भारत मिशन के अंतर्गत उज्जैन नगर पालिक निगम द्वारा शहर में कई चरणबद्ध कार्य किये जा रहे है जो की अपशिष्ट को कम करने पुन: चक्रण करने के लिए अत्यंत उपयोगी सिद्ध हो रहे है इन कार्यों में जन सामान्य का भी सहयोग प्राप्त हो रहा है। जैसे कई रहवासियों ने अपने घरो से निकलने वाले सूखे कचरे को छांट कर पुन: उपयोग एवं संदार्यकरण करने के लिए प्लास्टिक से कुर्सी, बेंच और अन्य सामग्रियों का निर्माण करने के लिए अलग से थ्री आर पार्क के निर्माण में सहयोग प्रदान किया।

कम्पोस्टिंग- 10 हजार घरो में गीले कचरे से कम्पोस्ट बना कर घरो के गार्डन में उपयोग किया जा रहा है जिससे परिवहन व्याव में बचत हो रही है।

बायोमैथिनेशन प्लांट- मक्सी रोड सब्जी मंडी परिसर में बायोमैथिनेशन प्लांट स्थापित किया गया है जिसमे थोक कचरा उत्पादक होटल्स और सब्जी मंडी से निकलने वाले गीले कचरे को प्रथक से एकत्रित करके गैस और बिजली का निर्माण किया जा रहा है जिसका उपयोग मंडी परिसर में विद्युत सप्लाय करके किया जाता है।

क्लॉथ टू पपेर प्लांट- उज्जैन धार्मिक शहर है जहाँ श्रद्धालुओं द्वार क्षिप्रा नदी के किनारे कपडो को त्याग दिया जाता है जो की कचरे के रूप में परिवर्ती होते थे, वही निगम ने कपड़ो के निस्तारण के लिए एक प्लांट लगा कर कपडे से पेपर बना कर प्रतिदिन 50 किलो कपड़े से पेपर का निर्माण किया जा रहा है।

फूलों से अगरबत्ती- मंदिरों से निकलने वाले फूलों को पहले कचरे के रूप में माना जाता था, परन्तु निगम की एक पहल से मंदिरों से निकलने वाले फूलों को आज अगरबत्ती बना कर उन्ही को अगरबत्ती के रूप में भगवन के चरणों में अर्पित किया जा रहा है।

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