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ट्रेक्टर रैली की आड़ में अपना राजनैतिक इंजिन स्टार्ट करने का प्रयास करती कांग्रेस

लेखक-सचिन सक्सेना, भाजपा नेता

किसान आंदोलन से बड़ी बेरुखी से धकियाये हुए राजनैतिक दल अब देश में किसानों को भ्रमित करने का प्रपंच रच रहे हैं, अर्थात अपनी राजनैतिक लोलुपता के चलते एवं अपनी राजनैतिक महत्वकांक्षा को शांत करने के प्रयास में जगह जगह ट्रेक्टर रैली निकाली जा रही है। ऐसी ही एक कांग्रेस के ट्रेक्टरों की रैली उज्जैन में भी निकली। क्योंकि इस ट्रेक्टर रैली में किसान तो थे ही नहीं इसमें तो चुनिंदा कांग्रेस नेता ही शामिल हुए थे। 

अपनी राजनैतिक रोटी की दो तरफा सिकाई करने में डूबी कांग्रेस ये भूल गयी कि ये मध्यप्रदेश है और यहाँ का किसान कांग्रेस की किसानों के प्रति सोच से एक-एक किसान परिचित है। इसलिए वो अब कांग्रेस के राजनैतिक झांसे में आने वाला नहीं है। मध्यप्रदेश का किसान जानता है कि ये वही कांग्रेस है जिसने चुनाव जितने के लिए अपने घोषणापत्र के माध्यम से मात्र 10 दिन में प्रत्येक किसान का 2 लाख तक के कर्जमाफी की बात कही थी। ये वही कांग्रेस है जिसने घोषणा पत्र के माध्यम से दूध के दाम 5 रूपये प्रति लीटर बढ़ाने की बात कही थी। ये वही कांग्रेस है जिसने अपने घोषणा पत्र के माद्यम से किसानों को सस्ता डीजल उपलब्ध करवाने की बात कही थी। इसी के साथ ही अनेकों ऐसी घोषणा है जो चुनाव जितने के लिए कांग्रेस द्वारा कृषि के क्षेत्र के लिए कही गयी थी। परन्तु किया क्या, ये सबके सामने है। 

कुछ वर्ष पहले भी शांति का टापू कहलाने वाले इस मध्यप्रदेश में किसानों को भ्रमित कर आंदोलन को हिंसात्मक बनाने का कार्य इसी कांग्रेस द्वारा किया गया था। अब एक बार फिर इस प्रकार के घृणित कार्य को ऐसी राजनैतिक रैली के माध्यम से अंजाम देने का प्रयास किया जा रहा है। परन्तु इस प्रदेश का किसान अब भृमित होने वाला नहीं है, क्योंकि किसान प्रदेश में शिवराज और देश में मोदी पर विश्वास करता है। वो ये जनता है कि वर्तमान नेतृत्व किसानों के प्रति संवेदनशील है इस देश में जो भी योजना बनाई जाती है वो किसान को केंद्र क्रियान्वित होती है।  ये इस देश का दुर्भाग्य है कि आज किसानों की हितेषी बनने का आडम्बर करने वाली इसी कांग्रेस ने सत्ता में रहते हुए किसान के शोषण करने एवं उसका सिर्फ एक वोट बैंक के रूप में उपयोग करने के सिवाय कोई अन्य कार्य नहीं किया है। परन्तु अब इस पार्टी को ये समझ लेना चाहिए की ये इक्कीसवीं सदी का भारत है तथा उसी सदी का किसान भी कांग्रेस पार्टी को ये समझ लेना चाहिए कि अब ये तुम्हारी राजनैतिक पिपासा का हिस्सा नहीं बनने वाला और ये हाल ही के उपचुनावों के परिणाम ने सिद्ध भी हुआ है।

(यह लेखक के अपने विचार है।)

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