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अफोर्डेबल हाउसिंग प्रोजेक्ट लांच कर दिखाया घर का सपना, 100 करोड़ लेकर भागा नामी बिल्डर गिरफ्तार : वर्ष 2010 में लांच किया था प्रोजेक्ट, 4 साल से थी तलाश



भोपाल। घर का सपना दिखाकर भागा नामी बिल्डर गिरफ्तार आख़िरकार पुलिस गिरफ्त में आ ही गया।  उसने वर्ष 2010 में अपना प्रोजेक्ट लांच किया था, जनता को सपने दिखाए और करीब 75 परसेंट राशि लेकर ऑफिस बंद किया और भाग निकला। आरोपी ने करीब सौ करोड़ की ठगी की थी।  पुलिस आरोपी को करीब 4  साल से तलाश कर रही थी। 
 

दिल्ली की यूनिटेक कंपनी ने वर्ष 2010 में राजधानी भोपाल के बैरागढ़ चीचली में करीब 23 एकड़ जमीन पर यूनिहोम्स नाम से अफोर्डेबल हाउसिंग प्रोजेक्ट लांच किया था। यूनिटेक ने कोलाज ग्रुप के साथ मिलकर एसवीएस बिल्डकॉन नाम से ज्वाइंट वेंचर कंपनी बनाई थी। प्रोजेक्ट में 6 मंजिला के 8 टॉवर बनाए जाने थे। यूनिटेक ने राजधानी में करीब 500 फ्लैट्स के लिए एडवांस पैसा लेकर बुकिंग की थी। 2-बीएचके के लिए 26 लाख 31 हजार और 3-बीएचके के लिए 35 लाख 89 हजार रुपए के हिसाब से बुकिंग का अनुबंध किया था। कार पार्किंग के 1.25 लाख और फ्लोर के हिसाब से 35 हजार से 1.10 लाख रुपए एक्स्ट्रा चार्ज लिया गया। बिजली कनेक्शन इंस्टॉलेशन के लिए 50 हजार और 20 हजार रुपए मेंटेनेंस चार्ज भी लिया था। काफी समय तक लोगों को घर नहीं मिले। ऑफिस में जाकर देखा, तो वहां कोई नहीं मिला। सुमित खनेजा कंपनी का डायरेक्टर था। इसके बाद लोगों ने मिलकर नवंबर 2017 में कोलार थाने में सुमित खनेजा, उसके भाई अमित खनेजा और एसके अरोरा के खिलाफ धोखाधड़ी का केस दर्ज कराया। पुलिस कार्रवाई में सख्ती नहीं बरत रही थी। हाल में पीड़ितों ने गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा से मिलकर आरोपी की गिरफ्तारी की गुहार लगाई थी। इसके बाद पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार किया। मामले में अमित खनेजा और एसके अरोरा फरार हैं। 

एक हजार लोगों से की ठगी 

यूनिहोम्स नाम से अफोर्डेबल हाउसिंग प्रोजेक्ट में आरोपियों ने करीब एक हजार लोगों से 100 करोड़ से ज्यादा की ठगी की है। कोलार थाना प्रभारी चंद्रकांत पटेल ने बताया कि सुमित को दिल्ली से हिरासत में लिया गया है। वह दिल्ली में ही रहता है। कोरोना की वजह से पुलिस रिमांड में नहीं लेगी। बताया जा रहा है की मामले में सीबीआई भी जांच कर रही है। जांच एजेंसी ने उपभोक्ताओं के साथ हुए एग्रीमेंट और बिल्डर को हुए भुगतान के दस्तावेज जुटा चुकी है। जांच में सामने आया था कि ज्यादातर एग्रीमेंट में दो साल के भीतर फ्लैट का पजेशन देने का दावा कर उपभोक्ताओं से 75% तक राशि ले ली गई। बावजूद भी उन्हें पजेशन नहीं मिला। हाईकोर्ट में पेश आवेदन के मुताबिक 250 से ज्यादा उपभोक्ताओं से प्रति उपभोक्ता 21 लाख रुपए लिए गए। हालांकि यूनिहोम्स रेसिडेंशियल वेलफेयर एसोसिएशन के पदाधिकारियों का कहना है कि प्रोजेक्ट के ज्यादातर फ्लैट बुक हो चुके हैं।


रेरा के आदेश पर अमल नही 

यूनिहोम्स भोपाल रेसिडेंशियल वेलफेयर सोसायटी के पदाधिकारियों का कहना है कि पैसे डूब जाने के डर से 140 लोगों ने पजेशन ले लिए हैं, लेकिन यहां न तो कॉलोनी के भीतर सड़कें बनी हैं और न ही पीने का पानी मुहैया कराया जा रहा है। बिजली कनेक्शन भी अस्थाई तौर पर मिले हैं। वहीं रेरा भी मामले में शिकायत पर बिल्डर को मुआवजा देने के आदेश दे चुका है, लेकिन अब तक इस पर अमल नहीं हो सका है। उधर, प्रोजेक्ट का काम ठप पड़ गया है। कुछ महीनों पहले तक यहां लेबर कार्य चल रहा था।

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