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मध्यप्रदेश शराब नीति : अब जिले के विधायक के हाथ में होगा कहां लगेगी मदिरा की दुकान, कलेक्टर को मिला बार लाइसेंस देने का अधिकार


भोपाल। जहरीली और अवैध शराब की बिक्री पर पूरी तरह से रोक लगाने की मंशा के साथ मध्यप्रदेश की नई शराब नीति में कुछ नए प्रावधानों को जोड़ा गया है। नई नीति में शराब की कीमत कम करने के लिए भी प्रयास किये गए है। वही अब शराब दुकान लगाने का स्थान जिले के विधायक पर छोड़ा गया है। इससे आये दिन शराब दुकान हटाने का पत्र लिखने की समस्या से छुटकारा मिलेगा। इसके साथ ही कलेक्टर को बार लाइसेंस देने के अधिकार भी दिए जा रहे हैं।  


मध्यप्रदेश सरकार द्वारा प्रदेश की नई शराब नीति में कई तरह के बदलाव किए गए हैं। सरकार हर हाल में प्रदेश में जहरीली और अवैध शराब की बिक्री पर पूरी तरह से रोक लगाना चाहती है। यही नहीं सरकार द्वारा नई नीति में शराब की कीमत कम करने के लिए भी कई कदमों का प्रावधान किया गया है। इसके पीछे सरकार की मंशा अवैध शराब की बिक्री पर रोक लगाने की है। अभी प्रदेश में शराब के दाम अधिक होने की वजह से प्रदेश में दूसरे राज्यों से तस्करी कर लाई गई शराब की बिक्री होना आम बात है। 

विधायक तय करेंगे स्थान 

शराब दुकान हटाने को लेकर आबकारी विभाग के पास विधायकों के पत्र आते थे। आए दिन होने वाले विवादों से बचने के लिए अब स्थान तय करने का जिम्मा विधायकों को दिया गया है। हालांकि इस संबंध में विभाग द्वारा लिखे गए पत्र में प्रदेश भर में शराब दुकानों को जनसंख्या घनत्व के अनुसार व्यवस्थित करने की समस्या से पूरी तरह निजात दिलाने का तर्क दिया गया है। विभाग द्वारा इस पत्र में कलेक्टर व जिले के विधायक की समिति को शराब दुकानों को स्थान परिवर्तन का अधिकार देने का भी उल्लेख किया गया है।  इसके लिए आबकारी मुख्यालय से सभी जिलों से 4 दिन में प्रस्ताव भेजने को कहा गया है। यह पत्र आबकारी मुख्यालय के सहायक आबकारी आयुक्त केसी अग्निहोत्री द्वारा लिखा गया है। इसमें कहा गया है कि कई शहरों में जनसंख्या वृद्धि, औद्योगिक, व्यावसायिक और रहवासी गतिविधियों के विस्तार से उनकी जन सांख्यिकी स्थिति काफी बदल चुकी है। इसकी वजह से कुछ महत्वपूर्ण क्षेत्र पूरी तरह मदिरा दुकान विहीन है और कुछ क्षेत्रों में मदिरा दुकानों का घनत्व वर्तमान आवश्यकता से अधिक है।

कलेक्टर देंगे बार लाइसेंस 

नई शराब नीति को कैबिनेट द्वारा स्वीकृति दी गई है और यह 1 अप्रैल से लागू हो जाएगी। इसमें बार लाइसेंस लेने की प्रक्रिया का सरलीकरण किया गया है। इसकी वजह से अब जिले में बार लाइसेंस की मंजूरी कलेक्टर स्तर पर ही दी जाएगी। इसकी वजह से अब बार लाइसेंस के लिए विभाग और शासन तक चक्कर नहीं लगाने पड़ेंगे। दरअसल प्रदेश में अधिकांश बीयर बार भोपाल, इंदौर, ग्वालियर, जबलपुर जैसे बड़े शहरों में ही है। यह कदम विभाग द्वारा बार की संख्या वृद्धि के लिए उठाया गया है। इसके लिए राज्य शासन ने नियमों में परिवर्तन किया है। गौरतलब है कि अभी बीयर बार का लाइसेंस लेने के लिए कलेक्टर की अध्यक्षता में गठित समिति सिफारिश करती है। इसके बाद प्रतिवेदन आयुक्त आबकारी के पास जाता है, जिसके बाद आयुक्त कार्यालय में परीक्षण के बाद प्रस्ताव को राज्य शासन के पास भेजा जाता है। इस लंबी पूरी प्रक्रिया में लाइसेंस लेने वालों को जिले से लेकर भोपाल तक कई चक्कर लगाने पड़ते थे। विभाग के मंत्री और अफसरों के यहां से फाइलों को स्वीकृति मिलने में काफी समय लग जाता है। यही वजह है कि इन परेशानियों को देखते हुए लोगों द्वारा बार लाइसेंस लेने से बचा जाता है।

एक ही दुकान में मिलेगी देशी और विदेशी दारू 

1 अप्रैल से लागू हो रही नई शराब नीति में प्रदेश सरकार द्वारा कई तरह के नए प्रावधान किए गए हैं। इसके तहत अब प्रदेश में शराब दुकानें कंपोजिट करने का भी फैसला कर लिया गया है। इसके तहत अब एक ही दुकान में देशी-विदेशी शराब बेची जाएगी। यही नहीं सरकार ने बड़े समूहों की जगह अब छोटे-छोटे  समूह बनाकर दुकानों की नीलामी करने का भी निर्णय कर लिया है।

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