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स्पेशल स्टोरी : कोरोना को फिर लौटाकर ही माने आशीष सिंह, दिन-रात एक कर दिया संक्रमण की चैन ब्रेक करने में, जरूरी दवाईयों के लिए भी की बेहतर व्यवस्था


  • पराग पांचाल, उज्जैन (मो. 9425121514)

आईएएस अधिकारी की बेहतर कार्यशैली ही उन्हें जनता और नेताओं का चहेता बनाती है। उज्जैन कलेक्टर आशीष सिंह भी ऐसे ही अधिकारियों में शामिल है जो कुछ अच्छा कर गुजरने का माद्दा रखते हैं। कोरोना को काबू में करने से लेकर स्वास्थ्य सुविधाओं को बेहतर बनाने में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका रही है। वे हर उस जगह गये जहां कोरोना का कहर था। वे कोरोना से पीडि़त लोगों के बीच जाकर संवाद करते और उनकी कुशलक्षेम पूछते। यही नहीं उनके द्वारा बताई गई परेशानियों को दूर भी करतेे। इसी का परिणाम है कि उज्जैन ने भी कोराना से मुक्ति की और कदम बढ़ाये।


बाबा महाकाल की नगरी में यूं तो सभी अधिकारी सेवा की भावना लेकर आते हैं और पूरी लगन से जनता की सेवा करते हैं। ऐसे ही हमारे कलेक्टर आशीष सिंह है जिन्होंने कोरोना के गंभीर समय में जनता के बीच पहुंचकर उनकी सच्ची सेवा की है। कलेक्टर श्री सिंह मरीजों को अस्पताल में मिल रही स्वास्थ्य सेवाओं को देखने के लिए स्वयं पहुंचते थे, जहां खामिया दिखती उन्हें सुधारने के निर्देश देते। कोरोना का ग्राफ जैसे-जैसे बढ़ा उन्होंने स्वास्थ्य सुविधाओं को और बेहतर करते हुए तुरंत समुचित व्यवस्थाएं जुटाई। देखा जाये तो पूरे जिले में बेहतर प्रबंधन कर उन्होंने कोरोना को फिर से लौटा दिया।


हर तरफ था डरावना मंजर


 कोरोना की दूसरी लहर ने उज्जैन में फिर एक बार कोहराम मचाना शुरू कर दिया। देखते ही देखते कोरोना पॉजिटिव मरीजों का आंकड़ा 350 तक पहुंच गया। एक साथ बढ़ते मरीजों को देखते हुए शहर में फिर सख्ती की आवश्यकता लगी। उन्होंने पुलिस, प्रशासन एवं नेताओं से बेहतर समन्वय स्थापित कर शहर में सख्ती बढ़ाई। इसके साथ ही लोगों को रोजमर्रा की जरूरतों का भी ध्यान रखा। जहां भी कोराना मरीज मिले उन्हें बेहतर इलाज की व्यवस्था कराई। घर घर टीम भेजकर मरीजों की सेम्पलिंग कराई और पॉजिटीव आने पर उन्हें अस्पताल में भर्ती करवाया। वहां मिले उचित इलाज के चलते बड़ी संख्या में मरीजों को स्वास्थ्य लाभ मिला।


निजी अस्पतालों की मनमानी पर लगाया अंकुश


कोरोना के बढ़ते आंकड़ों से शहर में दहशत का माहौल था। हर तरफ कोराना मरीज निकलने से लोगों में निराशा का भाव था। गंभीर मरीज को लेकर परिजन निजी अस्पतालों की ओर दौड़े, जहां उनसे मनमाने दाम वसूले गए। इस बात की जानकारी जैसे ही कलेक्टर आशीष सिंह को लगी उन्होंने तुरंत निजी अस्पतालों की मनमानी पर ब्रेक लगाया। यही नहीं उन्होंने इलाज के लिए दरें भी निर्धारित की, जिससे आम जनता को राहत मिली।


ऑक्सीजन और रेमडिसिविर बना परेशानी


कोरोना का ग्राफ बढऩे के साथ ही जरूरी दवाइयों की अचानक किल्लत हो गई। लोगों को जहां इसे खरीदने के लिए मुंहमांगे दाम देने पड़ रहे थे, वहीं अपराधिक मानिसकता के लोगों ने इसे लूट का जरिया बना लिया। इस पर कलेक्टर ने अंकुश लगाते हुए ऑक्सीजन रिफिलिंग सेंटर प्रशासन के अंडर में किये और जरूरतमंदों को उपलब्ध करवाये। यही नहीं कोरोना से बचाव के लिए लगने वाले रेमेडिसिविर इंजेक्शन की भी जमकर कालाबाजारी चल रही थी। इसके लिए उन्होंने मरीजों को जहां भर्ती है वहीं उपलब्ध कराने की व्यवस्था की। इससे केवल जरूरतमंद को ही यह मिला, कालाबाजारी करने वालों तक यह नहीं पहुंच सका। जिन्होंने इसकी कालाबाजारी की उन्हें जेल की सलाखों के पीछे भी भेजा।
 

वेक्सीनेशन के दिखे सुखद परिणाम


कलेक्टर आशीष सिंह ने 1 अप्रैल से वृहद स्तर पर टीकाकरण प्रारंभ किया। उन्होंने स्वच्छता सर्वेक्षण में लगे एनजीओ के सुपरवाइजर्स से कहा कि वे घर-घर जाकर लोगों को कोविड टीकाकरण के सम्बन्ध में जागरूक करें तथा टीकाकरण से सम्बन्धित भ्रांतियों को दूर करें। निगम के सुपरवाइजरों ने घर-घर जाकर लोगों को जागरूक किया। इसका सुखद परिणाम रहा कि उज्जैन शहर में कोराना टीकाकरण का आंकड़ा अच्छे स्तर तक पहुंच गया। कलेक्टर का कहना था कि निरन्तर सर्वे करें तथा रिपोर्ट तैयार करें। जितनी जल्दी टीके लगवायेंगे, उतनी ही जल्दी कोरोना कंट्रोल होगा।


आरआरटी टीम को उपलब्ध कराया सुरक्षाकर्मी


कलेक्टर ने रेपिड रिस्पांस टीम के डॉक्टर्स एवं अन्य कर्मचारियों की बैठक लेकर उन्हें निर्देशित किया कि जैसे ही किसी क्षेत्र में कोविड पॉजीटिव रिपोर्ट आती है, वे तुरन्त वहां जाकर मरीज का परीक्षण करें एवं आवश्यक होने पर उसे हॉस्पिटलाईज करें। साथ ही होम क्वारेंटाईन रखने पर आवश्यक दवाओं एवं आपातकालीन सहायता के लिये मरीज एवं उनके परिजनों को रिस्पांस टीम के दूरभाष नम्बर देकर आयें। कलेक्टर ने जहां भी पॉजीटिव मरीज आये, वहां पर अनिवार्य रूप से कंटेनमेंट झोन बनाया। प्रत्येक टीम में एक पुलिसकर्मी उपलब्ध कराये जिससे टीम को मरीजों तक पहुंचने में सहायता मिली।

 
बेहतर प्रबंधन ने दिये सुखद परिणाम


कलेक्टर आशीष सिंह की दूरदर्शिता ही थी कि उन्होंने मरीजों के बढऩे के साथ ही समय रहते उचित कदम उठाये। उन्होंने माधव नगर कोविड अस्पताल और चरक भवन में कोविड मरीजों के लिए बेड की संख्या बढ़ाई। बेहतर प्रबंधन का सुखद परिणाम भी देखने को मिला। निजी अस्पतालों की मनमानी पर अंकुश लगा और मरीजों को बेड शासकीय अस्पतालों में ही मुहैया होने लगे। परिणाम भी सामने है कि आज आंकड़ा लगातार निचले स्तर पर ही है।


आज भी सेमपलिंग पहले जैसी


उज्जैन कोरोना से धीरे-धीरे उभर रहा है। जिंदगी पटरी पर लौट आई है। मरीजों का आंकड़ा भी निचले स्तर पर पहुंच गया है। लेकिन कलेक्टर आशीषसिंह आगे की सोच रखकर कार्य कर रहे हैं। यही कारण है कि आज भी सेमपलिंग का आंकड़ा हजार-बारह सौ से ऊपर जा रहा है। थोड़े भी लक्षण दिखते ही मरीज की सेंपलिंग ली जाती है और तुरंत उसे बेहतर इलाज की व्यवस्था की जा रही है।

 
तीसरी लहर को लेकर अभी से तैयारी


कोरोना की तीसरी लहर आने की संभावनायें व्यक्त की जा रही है। ईश्वर करें ऐसा न हो लेकिन फिर भी विकट परिस्थितियों से निपटने के लिए अभी से ही कार्य शुरू कर दिये गये हैं। बच्चों के इलाज के लिए भी केयर यूनिट का कार्य शुरू हुआ है।



मई 2020 में मिली थी उज्जैन की कमान


कलेक्टर आशीषसिंह को उज्जैन जिले की कमान 5 मई 2020 को मिली थी। उन्हें जब जिम्मेदारी मिली तब उज्जैन के हालात बद से बदतर हो गए थे। उज्जैन के आरडी गार्डी मेडिकल कॉलेज में हो रही मौते हो या बढ़ता कोरोना का ग्राफ उनके लिए प्रमुख चुनौतियां थी। उन्होंने कमान संभालते ही सबसे पहले गंभीर समस्याओं को फोकस किया। आरडीगार्डी की व्यवस्थाएं सुधारी।


पांच सौ करोड़ की भूमि कराई मुक्त


कलेक्टर आशीष सिंह के निर्देशन में शहर में गुंडे और माफियाओं के विरूद्ध अभियान चला तो अच्छे-अच्छे गुंडे बदमाशी छोड़ काम धंधे लग गए। इस दौरान जिनके विरूद्ध अपराध का ग्राफ बढ़ा हुआ मिला उसका मकान जमींदोज कर दिया गया। कुल मिलाकर अपराधियों द्वारा गलत तरीके से बनाये गये अवैध आशियानों को जमीन में मिलाकर उनकी आर्थिक रूप से कमर तौड़ी। यही नहीं कलेक्टर आशीष सिंह ने शासकीय भूमि पर जो कब्जा था वह भी मुक्त कराया। शासकीय भूमि कब्जे मुक्त हुई उसकी अनुमानित कीमत करीब 500 करोड़ रूपये हैं। यह अब तक की सबसे बड़ी कार्यवाही है जिसमें शासन की करोड़ों की जमीन को कब्जे से मुक्त कराया गया है।


बर्तन बैंक था अनूठा प्रयोग


कलेक्टर आशीष सिंह को यदि पर्यावरण प्रेमी भी कहा जाये तो कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी। वे इंदौर नगर निगम में कमिश्रर थे तब उन्होंने प्लास्टिक डिस्पोजल पर बैन लगाने के लिए नया प्रयोग किया। उन्होंने वहां नि:शुल्क बर्तन बैंक शुरू की, जिसमें उन्होंने जनसहयोग से बर्तन एकत्रित किए और डिस्पोजल का उपयोग नहीं करने के लिए उन्हें बिना किसी शुल्क के प्रदाय करने का अभियान शुरू किया। इसी के साथ उन्होंने बाजार में उपयोग आने वाली प्लास्कि कैरी बेग को रोकने के लिए अभियान चलाया। उन्होंने बाजार में खादी के झोले उपलब्ध कराये जिससे प्लास्टिक बेग का उपयोग कम हुआ।


केबीसी पहुंचे आशीष


2 अक्टूबर 2019 को गांधीजी की 150 वीं जन्म जयंति के अवसर पर सोनी टीवी के प्रसिद्ध कार्यक्रम कौन बनेगा करोड़पति में उन्हें शामिल होने का अवसर मिला। यह भी उनके किये गये अच्छे कार्यों का परिणाम था कि वे सदी के महानायक अमिताभी बच्चन के साथ हॉट सीट पर बैठे नजर आये।


आशीष सिंह के बारे में

कलेक्टर आशीष सिंह 2010 बैच के मध्यप्रदेश कैडर के आईएएस है। उन्हें पहली बड़ी जिम्मेदारी 2016 में जिला पंचायत सीईओ इंदौर के रूप में मिली। इसके बाद उन्हें एडिशनल उज्जैन नगर निगम कमिश्रर का कार्यभार भी मिला। वर्ष 2018 में वे इंदौर नगर निगम कमिश्रर बने और स्वच्छता में काफी कार्य किये। उनके कार्यकाल में इंदौर लगातार  3 बार स्वच्छता में पूरे देश में नंबर वन पर रहा। इसके पश्चात वर्ष 2020 में उज्जैन में बढ़ते कोरोना के मामलों को देखते हुए शासन ने उन्हें उज्जैन कलेक्टर की जिम्मेदारी दी।


टॉप 10 में है नाम


देश के टॉप 10 आईएएस की सूची संस्था बैटर इंडिया द्वारा वर्ष 2020 में कार्यों के आधार पर जारी की गई। इसमें मध्यप्रदेश के दो आईएएस अधिकारियों आशीषसिंह और उमाकांत उमराव को स्थान मिला। इसमें आशीषसिंह को इंदौर को देश में स्वच्छता में नंबर वन लाने के लिए स्थान दिया गया था। आशीषसिंह के नेतृत्व में इंदौर लगातार 3 वर्षों तक स्चछता में नंबर वन रहा।

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