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मंडी घोटाला, इंदौर हाईकोर्ट हुआ सख्त : आखिर कोर्ट में पेश होना ही पड़ा इस आईएएस को, अब 27 मार्च को होगी सुनवाई...पढिय़े पूरी खबर बस एक क्लिक में


इंदौर। इंदौर हाईकोर्ट की सख्ती के कारण आखिरकार मध्यप्रदेश के सामान्य प्रशासन विभाग मंत्रालय में सचिव के पद पर पदस्थ भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी को अंतत: इंदौर कोर्ट में पेश होना पड़ा। उनके खिलाफ मंडी घोटाले में वारंट जारी हुआ था। गिरफ्तारी से बचने के लिए ललित दाहिमा मंत्रालय और अपने सरकारी आवास से गायब हो गए थे। उल्लेखनीय है कि उन्होंने हाईकोर्ट में अग्रिम जमानत याचिका दाखिल की थी परंतु वह खारिज हो गई थी।

मंत्रालय में पदस्थ आईएएस ललित दाहिमा की अग्रिम जमानत अर्जी हाई कोर्ट इंदौर ने ख़ारिज कर दी थी। हाई कोर्ट ने उन्हें उसी अदालत में जमानत के लिए आवेदन लगाने को कहा था जिसने गिरफ्तारी वारंट जारी किया। संबंधित अदालत उसी दिन आवेदन पर सुनवाई कर निर्णय लेगी। हाई कोर्ट के इसी आदेश के पालन में दाहिमा जिला कोर्ट में पेश हुए और जमानत अर्जी लगाई। अतिरिक्त जिला शासकीय अभियोजन अधिकारी ज्योति गुप्ता ने जमानत का विरोध किया। दोनों पक्षों की बहस सुनने के बाद स्पेशल सेशन जज विकास शर्मा ने उनकी अर्जी स्वीकार कर अंतरिम जमानत दे दी।

उल्लेखनीय है कि ललित दाहिमा अभी सामान्य प्रशासन विभाग में उपसचिव के पद पर पदस्थ है। उनका जिला कोर्ट इंदौर ने गत 9 फरवरी को गिरफ्तारी वारंट जारी कर 19 फरवरी को पेश करने के आदेश दिए थे। ईओडब्ल्यू धनंजय शाह के निर्देश पर डीएसपी आरडी मिश्रा के निर्देशन में ललित दाहिमा को गिरफ्तार करने ईओडब्ल्यू इंदौर की तीन टीम भोपाल पहुंचीं तो वहां जानकारी लगी कि वे अवकाश पर हैं। टीम जब निवास पर पहुंची तो वहां पर ताला लगा हुआ था। 

यह है मामला

जिस मामले में हाईकोर्ट की सख्ती के चलते सामान्य प्रशासन विभाग के सचिव की हालात खराब हो गई है वह मामला दरअसल एक कृषि उपज मंडी में हुआ घोटाला है। बताया जा रहा है कि कृषि उपज मंडी इंदौर के 19 साल पुराने 8 करोड रुपए की टैक्स घोटाले के मामले में 2011 में लिपिक कानूनगो सहित 23 व्यापारिक फर्मों के खिलाफ करीब डेढ़ लाख पन्नों का चालान पेश किया गया था। इस मामले में व्यापारी जगदीश तिवारी, दिलीप अग्रवाल, आशीष गुप्ता, अनिल मित्तल, आनंद गुप्ता, अमित गर्ग, रवि काकाणी, मनीष गोयल, चंद्रशेखर अग्रवाल, आवेश गर्ग, हरीश गलकर, अश्विन गोयल, सौरभ मंगल, आनंदकुमार जैन, कैलाशचंद्र, मुरारीलाल अग्रवाल, संजय गर्ग, बाबूलाल अग्रवाल, श्यामसुंदर अग्रवाल, विजयकुमार अग्रवाल व सचिन मंगल आरोपी बनाए गए। इस मामले में दो व्यापारी संजय पिता मनसुखभाई मेहता व प्रदीप पिता शिवस्वरूप जैन अभी तक फरार है। तत्कालीन मंडी सचिव और वर्तमान इंदौर कलेक्टर मनीष सिंह ने बताया कि 23 फर्मों के बनाए गए लाइसेंसों में मंडी के नियमों की अनदेखी की गई और बिना मंडी शुल्क के ही लाइसेंस जारी कर दिए गए। आरोपियों ने एक-दूसरे की पहचान पेश की और संगठित रूप से साजिश रची थी। इसी के चलते लाइसेंस बनते गए। मंडी ने लाइसेंस में दर्ज पतों पर मंडी शुल्क वसूली के लिए नोटिस भेजे तो उसका कोई अस्तित्व ही नहीं था। पते ही फर्जी निकले। इससे करीब आठ करोड़ से ज्यादा का घपला हुआ। समय यह घोटाला हुआ ललित दाहिमा कृषि उपज मंडी के सचिव थे।

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