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विक्रमोत्सव का आयोजन 7 से 13 अप्रैल तक : संस्कृति मंत्री सुश्री ठाकुर बोली 21वीं सदी के भारत में विक्रमोत्सव का महत्वपूर्ण योगदान होगा

उज्जैन 23 फरवरी। संस्कृति मंत्री सुश्री उषा ठाकुर ने कहा कि विक्रमोत्सव ऐतिहासिक एवं पुरातात्विक महत्व का आयोजन है। यह विभाग के लिये ही नहीं बल्कि सम्पूर्ण देश के लिये गौरव है। इसके माध्यम से उज्जैन का इतिहास, साहित्य एवं परम्पराओं को जन-जन तक पहुँचाने में मदद मिलेगी। विक्रमोत्सव का 21वीं सदी के भारत में महत्वपूर्ण योगदान होगा। संस्कृति मंत्री सुश्री ठाकुर स्वराज भवन में सोमवार को विक्रमोत्सव के आयोजन की तैयारियों को लेकर हुई बैठक को संबोधित कर रहीं थीं। बैठक में उच्च शिक्षा मंत्री डॉ. मोहन यादव भी मौजूद थे। बैठक में बताया गया कि उज्जैन में 7 अप्रैल से 13 अप्रैल 2021 तक विक्रमोत्सव का आयोजन होगा। 

संस्कृति मंत्री सुश्री ठाकुर ने कहा कि उज्जैन आध्यात्म की नगरी है। यहाँ आध्यात्म का शोध केन्द्र खोला जाना काफी उपयोगी होगा। इसी तरह धर्मस्व की अधिकांश गतिविधियाँ उज्जैन से ही संचालित होती है। अत: उज्जैन में प्रदेश स्तरीय कार्यालय खोला जाना बेहतर होगा। उन्होंने कुंभ संग्रहालय की स्थापना करने के संबंध में भी विचार-विमर्श किया। उन्होंने विक्रमोत्सव के दौरान भारतीय औषधीय पद्धतियों एवं वातावरण को शुद्ध करने के विभिन्न माध्यमों का प्रचार-प्रसार करने के निर्देश दिए।

उच्च शिक्षा मंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि विक्रमोत्सव के दौरान उज्जैन एवं राजा विक्रमादित्य के यश से संबंधित गतिविधियों को दूर-दूर तक फैलाया जाये। उन्होंने कहा कि राजा विक्रमादित्य पर केन्द्रित कविता लेखन के लिये लोगों को प्रेरित करें। उन्होंने विक्रमादित्य शोध पीठ के अध्यक्ष संस्कृति मंत्री के लिये उज्जैन में कक्ष स्थापित करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि महाकाल मंदिर की भूमिका पर केन्द्रित कैलेण्डर प्रकाशित कर लोगों को विक्रय किया जाये। उन्होंने कहा कि समय की नगरी उज्जैन की महत्ता को ध्यान में रखकर उपहार में घ?ी का प्रचलन ब?ाने की कोशिश करें। 

उच्च शिक्षा मंत्री डॉ. यादव ने कहा कि विक्रमोत्सव में उज्जैन की यथार्थता का बेहतर प्रचार-प्रसार हो। लोगों में फैली भांतियों को दूर करने का प्रयास करें। उन्होंने विभिन्न कार्यक्रमों की समितियाँ गठित करने एवं रूप रेखा और तिथियाँ तय करने के निर्देश दिए। बैठक में बताया गया कि विक्रमोत्सव में व्याख्यान, संगोष्ठी, प्रदर्शनी, पुस्तकों का लोकार्पण, विक्रम नाटय समारोह, सांस्कृतिक संध्या, अखिल भारतीय कवि सम्मेलन, कलश यात्रा, वेद अंत्याक्षरी, राग मालवा गायन आदि कार्यक्रम होंगे। बैठक में सचिव, महाराजा विक्रमादित्य शोधपीठ सहित समिति के अन्य सदस्य मौजूद थे।

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